सत्य
कब तक झुकोगे?
अपने ही झूठ से !
कब तक गिरोगे ?
अपने अहम् से!
तुम वो नहीं जो तुमने डर कर दिखाया है,
तुम वो हो जो बस सत्य में ही रह पाया है।
सच को अपना आईना बना तू
वहम -भय छोड़ ;
झूठ को मिटा तू।
जब तक खुद में झाकोगे नहीं,
ये जमीं भी दुश्मन लगेगी!
जो खुद में डूब गए तुम,
तो ये आसमां भी तुम्हारा है।
जो तुम अब उठ गए
पहले थे कहीं ,सोये ख़ुद ही!
अब तुम्हे कोई गिरा सके,
इतना किसी में दम नहीं।
|• Tanvisharma•|
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