'बोल अब जाऊँ कहाँ'





घुट रहा है दम,
बोल अब भाग जाऊँ कहाँ।

रूह तार तार है
बोल अब जिरह फ़र्माऊ कहाँ।

बनके मेरा तबस्सुम खिला था तू,
बोल अब वही सावन लाऊँ कहाँ।

शाम का तन्हा वक़्त,
बोल अब वही ठंडी बयार लाऊँ कहाँ।
©tanvisharma

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